Oil Reserve: OPEC + देशों द्वारा हाल ही में घोषित उत्पादन कटौती के बाद अमेरिकी (America) राष्ट्रपति जो बिडेन बुधवार को अमेरिकी रणनीतिक रिजर्व (Oil Reserve) से 15 मिलियन बैरल तेल जारी करने की घोषणा की है. अमेरिका द्वारा उठाया गया यह बड़ा और एतिहासिक कदम है.
America ने उठाया एतिहासिक कदम
WION से मिली जानकारी के मुताबिक, ओपेक + देशों द्वारा हाल ही में घोषित उत्पादन कटौती के जवाब में अमेरिका (America) के राष्ट्रपति जो बिडेन ने बड़ा एलान किया है. अमेरिकी अब 15 मिलियन बैरल तेल जारी (Oil Reserve) करने जा रहा है. इस साल के अंत तक तेल देने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. बताया जा रहा है की यह कदम मिड टर्म इलेक्शन को देखते हुए लिया गया है.
एक वरिष्ठ अमेरिकी (America) अधिकारी ने मंगलवार को कहा है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है. इसके साथ OPEC+ अपनी मनमानी कर रहा है. लेकिन अमेरिका (America) ने फैसला लिया है की अब 15 मिलियन बैरल तेल (Oil Reserve) दुनिया को देगा.

इसके साथ ही बता दें की अमेरिका (America) ने पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उसके सहयोगियों का तेल उत्पादन में कटौती का फैसला एक भूल कहा है. अमेरिका का कहना है की तेल के उत्पादन में कटौती सिर्फ रूस के कहने पर की जा रही है. लेकिन ऐसा करना ओपेक+ देशों की सबसे बड़ी भूल है.
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव का आया अधिकारिक बयान
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव का अधिकारिक बयान सामने आया है. उनका कहना है की, “ओपेक प्लस ने पिछले हफ्ते जो निर्णय लिए, हमारा मानना है कि वे रूसियों के पक्ष में थे और अमेरिकी लोगों और दुनिया भर के परिवारों के हितों के खिलाफ थे.” तेल की कीमतें वैश्विक स्तर पर बढ़ती जा रहीं हैं. जिसके चलते कई विकासशील देश ऐसे हैं जिनको भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है.
ऊर्जा बाजारों को शांत करने और यूक्रेन युद्ध के झटके से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (America) को बचाने के लिए जो बिडेन ने आपातकालीन तेल भंडार के सबसे बड़े हिस्से का उपयोग करने का निर्णय है. इस तेल को आमतौर पर तूफान से संबंधित शटडाउन जैसी स्थितियों में इस्तमाल करने के लिए रखा जाता है.
सऊदी अरब गए थे जो बिडेन
जो बिडेन तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी के उद्देश्य से सितंबर महीने में सऊदी अरब गए थे. वहां उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की थी. जो बिडेन ने सऊदी के क्राउन प्रिंस से तेल के उत्पादन को बढ़ाने की बात कही थी लेकिन बावजूद इसके सऊदी अरब ने अमेरिका की बात नहीं मानी थी.
फरवरी में यूक्रेन पर आक्रमण करने के कुछ ही समय बाद, प्रमुख ऊर्जा निर्यातक रूस पर अमेरिका (America) और यूरोपीय देशों ने कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे. जिससे बाजारों में तबाही मच गई थी. इसके अलावा , क्रेमलिन ने पश्चिम देशों के खिलाफ ऊर्जा आपूर्ति पर अपने आर्थिक प्रभाव का उपयोग करने की धमकी दी थी. क्रेमलिन ने उस वक़्त कहा था की अगर पश्चिम देश हम पर किसी भी तरह का प्रतिबंध लगाएंगे तो हम भी शांत नहीं बैठेंगे.
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते गैस के भाव में भी उछाल देखने को मिला था. गैस की कीमतों में बढ़ोतरी भी अमेरिका के लिए एक चिंता का विषय बन गई थी. रूस-यूक्रेन युद्ध को लगभग 8 महीने हो गए हैं. लेकिन अभी भी दोनों देशों में से कोई भी झुकने और रुकने को तैयार नहीं है.